ये कहानी एक कोलैबोरेशन कांटेस्ट के तहत लिखी गयी है| इस कहानी को मेरे साथ लिखा है हमारे ग्रुप के मेम्बर नितिन कश्यप ने | ये कहानी है...भावना और फ़िरोज़ की| भावना 52 साल की एक होममेकर है जो शादी के बाद अपने पति और 3 बचो के साथ लखनऊ के अलीगंज में रहती है| … Continue reading काश – भाग 2
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काश – भाग 1
ये कहानी एक कोलैबोरेशन कांटेस्ट के तहत लिखी गयी है| इस कहानी को मेरे साथ लिखा है हमारे ग्रुप के मेम्बर नितिन कश्यप ने | ये कहानी है...भावना और फ़िरोज़ की| भावना 52 साल की एक होममेकर है जो शादी के बाद अपने पति और 3 बचो के साथ लखनऊ के अलीगंज में रहती है| … Continue reading काश – भाग 1
कितना मुश्किल था?
तेरी यादो से बस एक शिकायत है मुझे,के अब ये बिन बुलाये मेरे दर पे दस्तक नहीं देती।वरना कितना मुश्किल था इनसे पीछा छुड़ाना। याद है तुझे?मेरा वो अक्सर तुझसे तेरे वक़्त के लिए लड़नामेरा रूठना, रूठ के अपने-आप मान जानातेरा कभी कुछ न कहनाऔर मेरा अच्छा-बुरा सब कह जाना। क्या याद है तुझे?तेरा हर … Continue reading कितना मुश्किल था?
आखिर पाया तो क्या पाया ? हरिशंकर परसाई
जब तान छिड़ी, मैं बोल उठाजब थाप पढ़ी, पग दोल उठाऔरो के स्वर में स्वर भर कर अब तक गाय तो क्या गाया? सब लुटा विश्व को रंक हुआ रीता अब मेरा अंक हुआ दाता से फिर याचक बनकर कण-कण पाया तो क्या पाया? जिस ओर उठी ऊँगली जग की उस ओर मुढ़ी गति पग … Continue reading आखिर पाया तो क्या पाया ? हरिशंकर परसाई
मैं तैनू फ़िर मिलांगी – अमृता प्रीतम
मैं तैनू फ़िर मिलांगीकित्थे ? किस तरह पता नईशायद तेरे ताखियल दी चिंगारी बण केतेरे केनवास ते उतरांगीजा खोरे तेरे केनवास दे उत्तेइक रह्स्म्यी लकीर बण के खामोश तैनू तक्दी रवांगी जा खोरे सूरज दी लौ बण केतेरे रंगा विच घुलांगीजा रंगा दिया बाहवां विच बैठ के तेरे केनवास नु वलांगीपता नही किस तरह कित्थेपर तेनु … Continue reading मैं तैनू फ़िर मिलांगी – अमृता प्रीतम
Aakhri Parichay
Author: Sarat Chandra Chattopadhyay Published: 1939 This book was published in Bengali under the title "Shesher Porichoy". Sarat Chandra Chattopadhyay was among one of the most popular Bengali novelist. Our generation knows him for his famous works like Devdas, Parineeta, Mej Didi and Choritrohin. No wonder most of his renowned works were taken up by … Continue reading Aakhri Parichay
खेल ही तो है
थक नहीं जाता ऐ खुदा तू? ऐसे खेल खेलते हुए जिसमे न हार का पता है न जीत का... बस किसी साज़िशों के तहत तू चाल चलता रहता है और मैं, मैं किसी प्यादे सा कभी एक कदम, तो कभी अढ़ाई चल कर रुक जाता हु, इंतज़ार करता हु... के अब फैसला होगा, ये चाल … Continue reading खेल ही तो है
कोरा कागज़
कोरा सा कागज़ आज कोरा छोड़ने को जी करता है... कागज़ो पे उतरे ये अलफ़ाज़ मानो, इस दिल को तेरे इश्क़ से खाली किये जा रहे है|सो अब रुकने को जी करता है,कोरा सा कागज़ आज कोरा छोड़ने को जी करता है|| के अब कहा से लायूं अलफ़ाज़ वो,जो तुझ तक मेरे इश्क़ का पैगाम पोहचा … Continue reading कोरा कागज़